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Ghar Aarnyak (en Hindi)
Satyanarayan Vyas
(Autor)
·
Prabhakar Prakashan Private Limited
· Tapa Blanda
Ghar Aarnyak (en Hindi) - Vyas, Satyanarayan
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Reseña del libro "Ghar Aarnyak (en Hindi)"
पूर्व- कथन 'घर आरण्यक' शीर्षक इस बात का सूचक है कि घर में रहते हुए भी 'आरण्यक' जैसा चिंतन किया जा सकता है। उपनिषदों की उत्पत्ति 'आरण्यक' से हुई है। तब का चिंतन तब के देश-काल-परिवेश का था। अब इक्कीसवीं सदी है, लेकिन मनुष्य के सामूहिक चित्त का विकास पहले से अधिक हुआ है। वे ऋषि-मुनि सब मनुष्य थे, कोई देवदूत नहीं। उनमें वे ही मानवीय विशेषताएँ, अच्छाइयाँ और खामियाँ-कमजोरियाँ थीं, जो आज हम सबमें हैं। ऋषि-मुनियों के कोई सुर्खाब के पर नहीं थे। वे ठीक हमारे जैसे थे। मानव-मस्तिष्क पहले से अधिक समुन्नत हुआ है। महर्षि अरविन्द साक्षी हैं। दैनिक जीवन के साधारण क्रम में भी प्रायः तत्त्व-चिंतन की लहरें आती हैं। बुद्धि जहाँ तक जा सकती है, उसे जाने दिया गया है। 'घर-आरण्यक' एक तरह से तत्त्वान्वेषी नोट्स हैं, जो डायरी रूप में लिखे गए हैं। अरण्य का अर्थ जंगल है, जिसमें आध्यात्मिक गूढ़ चिंतन हुआ करता था। यहाँ अरण्य और उसकी चिंतन शैली घर में ले आई गई है। कंटेंट भी बदला है, अभिव्यक्ति की शैली भी। 'घर' आज का सूचक है, 'आरण्यक' परंपरा का । युग बदला है, मूल्य बदले हैं, दृष्टि बदली है, कथ्य और वस्तु परिवेश के साथ बदली है। इन सब बदलावों के साथ, जीवन और उसके पीछे अबूझ चीजों को ज
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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