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Bhartiya Sanskriti Ke Paksh Mein भारतीय संस्कृति के &# (en Hindi)
Arvind Ghosh
(Autor)
·
Blurb
· Tapa Blanda
Bhartiya Sanskriti Ke Paksh Mein भारतीय संस्कृति के &# (en Hindi) - Ghosh, Arvind
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Reseña del libro "Bhartiya Sanskriti Ke Paksh Mein भारतीय संस्कृति के &# (en Hindi)"
अधिकांश पाश्चात्य राजनीति-विशारदों एवं इतिहासज्ञों का कथन है कि भारत कभी भी राष्ट्र गठन नहीं कर सका था और न भारतीयों में कभी इसकी पूर्ण योग्यता ही थी। इसी बात को लेकर योगिराज श्री अरविन्द ने प्रस्तुत पुस्तक 'भारतीय संस्कृति के पक्ष' में प्राचीन अकाट्य प्रमाणों द्वारा यह सिद्ध किया है कि जिन लोगों का उक्त कथन है, वे भारत के असली राष्ट्रनीतिक इतिहास से बिल्कुल अनभिज्ञ हैं। यथार्थतः देखा जाए तो पूर्वकाल में भारत में जो राजतंत्र प्रचलित था, वह वास्तव में एक प्रकार से प्रजातंत्र ही था। यहां राजाओं में जो वंशानुक्रमिक नीति प्रचलित थी और जिसकी आधुनिक विद्वान निंदा किया करते हैं, वह वस्तुतः निन्द्य नहीं थी। यहां जैसा राजतंत्र था, वैसा न तो विलायत का पार्लमेंटरी शासन है, न रूस का कम्यूनिज्म है, और न अमेरिका का फेडरेशन ही है। आज जो भारतीय पाश्चात्य देशों की शासन-प्रणाली की नकल करना चाह रहे हैं, वे भूल कर रहे हैं। कारण यह कि भारत आस्ट्रेलिया या कनाडा के समान कोई नया देश नहीं है कि उसकी निजी प्रतिभा कुछ न हो और वह इस विषय में परमुखापेक्षी हो। स्वाधीन भारत में स्वराज का जो रूप होगा, वह आधुनिक दृष्टि से एक विचित्र ही प्रकार का होगा।
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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